महाशिवरात्रि की कथा, महाशिवरात्रि कब मनाया जाता है, महाशिवरात्रि मानाने की विधि और शिवरात्रि तथा महाशिवरात्रि में अंतर [ Why mahashivratri is celebrated, maha shivaratri 2022, origin of mahashivratri ]
Why mahashivratri is celebrated Hindi महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं
महाशिवरात्रि का पर्व हिंदुओं शिव भक्तों का बहुत पावन त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु शिव मंदिरों में जाकर रुद्राभिषेक करते हैं। उनका पूरा दिन उपवास, शिव की आराधना करने में और उनकी कथा सुनने में ही बीतता है। अब चूंकि लोग शोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहते हैं तो पूरे समय भगवान् शिव और माता पार्वती के कोट्स और स्टेटस शेयर करते रहते हैं।
माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है|
इस समय हिन्दुओं में उत्साह का संचार हुआ है इसलिए भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाने लगा है।
महाशिवरात्रि की उत्पत्ति Origin of mahashivratri
महाशिवरात्रि के बारे में विभिन्न कथायें प्रचिलित हैं। यह उस दिन माना जाता है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिवरात्रि उस दिन मनाई जाती है जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से निकले जहर को पीकर दुनिया को बचाया था।
महाशिवरात्रि का पर्व कैसे मानते हैं How is the festival of Mahashivratri celebrated?
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए मनाया जाता है , इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना, शिवरात्रि पर कथा सुनने और रात्रि जागरण करते हैं। इस दिन शिव भक्त भगवन शिव और माता पार्वती उनकी पूजा और आराधना में समर्पित करते हैं।
महाशिवरात्रि कब है When is mahashivratri
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। भगवान शिव की उपासना का पर्व महाशिवरात्रि ( maha shivaratri 2022 ) इस साल 1 मार्च 2022 को मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि पूजा विधि Mahashivratri Procedures
भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। इस पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मन्दिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मन्दिरों में घण्टी और “शंकर जी की जय” ध्वनि गूँजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी डालते हैं। हालाँकि इन सभी अनुष्ठानों का हमारे शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं है।
महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा | Mythology Story Of mahashivratri
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की कथा कुछ इस प्रकार है। बहुत समय पहले चित्रभानु नाम का एक शिकारी था और वह अपने परिवार का पेट भरने के लिए शिकार करता था। गरीब होने के चलते वह साहूकार से कर्ज लिया करता था जिसको वह समय पर चुका नहीं पाता था।
अपना कर्ज वसूलने के लिए एक दिन साहूकार ने चित्रभानु को कैद कर लिया जिसके वजह से चित्रभानु को भूखा प्यासा रहना पड़ा था। साहूकार की कैद में परेशान चित्रभानु ने भगवान शिव की आराधना करनी शुरू कर दी ।
चित्रभानु को पैसे व्यवस्थित करने के लिए साहूकार ने शाम को उसे छोड़ दिया, जिसके बाद चित्रभानु जंगल में दर-दर शिकार ढूंढने के लिए भटकता रहा। भटकते-भटकते शाम से रात हो गई लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला।
पास में एक बेल का पेड़ था जिस पर वह चढ़ गया, उस बेल के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग मौजूद था। चित्रभानु के पेड़ पर चढ़े होने की वजह से बेलपत्र टूट-टूट कर शिवलिंग पर गिरती रहीं। पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रात में अनजाने में ही सही लेकिन चित्रभानु ने पूरे दिन व्रत रखने के साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित कर दिया था।
रात के समय तलाब के पास एक गर्भवती हिरणी आई। चित्रभानु उस गर्भवती हिरणी को मारने ही वाला था कि तभी गर्भवती हिरनी ने कहा “मैं अपने बच्चे को जन्म देकर आपके पास वापस आऊंगी तब आप मेरा शिकार कर लीजिएगा।” गर्भवती हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे जाने दिया इस तरह महाशिवरात्रि का प्रथम प्रहर भी बीत गया।
चित्रभानु शिकार की तलाश कर ही रहा था कि तभी वहां से एक दूसरी हिरणी आई। हिरणी को देखते ही चित्रभानु शिकार के लिए तैयार हो गया था तभी हिरणी ने उसे कहा कि वह अभी ऋतु से मुक्त होकर आई है और अपने पति की खोज कर रही है।
हिरणी ने उससे वादा किया कि वह अपने पति से मिलकर शिकार के पास वापस लौटेगी। चित्रभानु ने उसे जाने दिया इस तरह आखरी प्रहर भी बीत गया। चित्रभानु के वजह से वापस बेलपत्र शिवलिंग पर गिरे जिसके वजह से दूसरे प्रहर की पूजा भी समाप्त हो गई।
कुछ समय बाद वहां से तीसरी हिरणी अपने बच्चों के साथ आई, चित्रभानु फिर से हिरणी के शिकार के लिए तैयार हो गया। हिरणी ने कहा कि वह इन बच्चों को अपने पिता के पास छोड़ कर वापस आएगी। हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे भी छोड़ दिया। इस तरह चित्रभानु ने पूरा दिन उपवास रखा और रात्रि जागरण किया।
चित्रभानु अपने कर्ज और परिवार की चिंता में डूबा हुआ था तभी वहां एक हिरण आया। हिरण ने चित्रभानु को देखते हुए कहा “अगर तुमने तीन हिरणी और उनके बच्चों को मार दिया है तभी तुम मुझे मार सकते हो। और अगर तुमने उनको छोड़ दिया है तो मुझे भी छोड़ दो मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहां वापस आ जाऊंगा।”
तब चित्रभानु ने हिरण को घटित घटना बताई तब हिरण ने जवाब दिया कि वह तीन हिरणियां उसकी पत्नी थीं। अगर तुमने मुझे मार दिया तो वह तीन हिरणी अपना वादा पूरा नहीं कर पाएंगी। मेरा विश्वास करो मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहां जल्दी वापस आऊंगा। हिरण की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे जाने दिया। इस तरह चित्रभानु का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उसका मन पवित्र हो गया।
रात भर चित्रभानु ने भगवान शिव की आराधना की थी जिसके वजह से भगवान शिव उससे प्रसन्न हो गए थे। कुछ देर बाद हिरण अपने पूरे परिवार के साथ चित्रभानु के पास पहुंच गया था।
हिरण और उसके परिवार को देखकर चित्रभानु बहुत खुश हुआ और उसने हिरण के पूरे परिवार को जीवनदान देने का वचन लिया। इस तरह चित्रभानु को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और मरने के बाद उसे शिवलोक में जगह मिली थी।
भगवान शिव और माता पार्वती के लिए व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम स्टेटस
आप की माया आप ही
जाने महादेव हम तो बस
आपके दीवाने है .. !! ॥
हर हर महादेव ॥
जहाँ प्रेम वहां भक्ती हैं.
जहाँ शिव वही शक्ती हैं !
आज उसका दिन है ,
जिससे मेरा हर दिन है
जब आपके हाथ में कुछ ना रहे तब समझ जाओ
हजार हाथ वाले ने आपकी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है
छोड़ो जोगी इश्क के रोग ,
झूठी दुनियां झूठे लोग ।
दिल खुशी से मचल जाता है
जब महादेव का सोमवार आता है ।
हर हर महादेव !!
धैर्य रखना ,
निराश मत होना कभी ।
क्योंकि जिसने तुमको लिखा है ,
वो ब्रह्मांड का सबसे बड़ा लेखक है ।
असत्य में भी जो सत्य का रूप है ,
वहीं शिव का स्वरूप है ।
ऊँ नम: शिवाय ऊँ महेश्वराय नम: ऊँ शंकराय नम: ऊँ रुद्राय नम: ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं
Happy Mahashivaratri
शिव की भक्ति से नूर मिलता है
सबके दिलों को सुकून मिलता है
जो भी लेता है दिल से भोले का नाम
भोले का आशीर्वाद उसे जरूर मिलता है
Happy Maha Shivratri
पी के भांग जमा लो रंग जिंदगी बीते ख़ुशियों के संग लेकर नाम
शिव भोले का दिल में भरलो शिवरात्रि की उमंग !
शुभ शिवरात्रि
Shayari Mahashivratri SMS
मेरे शिव शंकर हैं भोले नाथों के नाथ
बाबा अपने सभी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करना
और उन पर अपना आशीर्वाद बनाए रखना
जय शिव शम्भू भोले नाथ
Happy Maha Shivratri
काल भी तुम और महाकाल भी तुम लोक भी तुम और त्रिलोक भी तुम शिव भी तुम और सत्य भी तुम। महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं।
भोले बाबा आप पर बरसाए अपार आशीर्वाद, बने आपका हर काम भोले बाबा करें हर इच्छा पूरी। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !!
जमा लो आज रंग, भोले की भांग के संग आयी है शुभ घड़ी ये महाशिवरात्रि का दिन। आपको और आपके समस्त परिवारजनों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !!
और अंत में
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक पावन पर्व है जिसमें वो शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं , व्रत रखते हैं और उनकी कथा सुनते हैं। हमारे भारत में इस तरह से बहुत सारी पौराणिक कहानिया प्रचिलित हैं जो न सिर्फ हमें इस तरह के उत्सव के बारे में जानकारी देती है बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी संजो कर रखते हैं।
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